कविताएँ

Saturday, June 04, 2005

मुक्तक

  • gggggggggggggggg
  • कुछ मुक्तक
    ggggggggggggggggg

  • सैकड़ों, हजारों, लाखों आते–जाते हैं
    उनके आने–जाने से पड़ता फर्क नहीं,
    वे बना सकें इस दुनिया को यदि स्वर्ग नहीं
    इतना तो हो, वे इसे बनाएँ नर्क नहीं।

***

  • यदि किसी एक के भी हम आँसू पोंछ सके
    यदि किसी एक भूखे को रोटी जुटा सके,
    सौभाग्य हमारा, यदि एसा कुछ कर पाए
    अपनेपन का धन यदि हम सब में लुटा सकें।
    ***

  • हर एक व्यक्ति यह सोचे और विचारे यह
    क्यों जन्म लिया, दुनिया में मैं क्यों आया हूँ,
    उल्लेखनीय क्या मैंने कोई काम किया
    जीवित रहकर दुनिया को क्या दे पाया हूँ।
    ***

  • हम जाएँ, तो हमको यह पश्चात्ताप न हो
    कुछ कर न सके, हम नहीं हाथ मलते जाएँ,
    हम जाएँ तो सन्तोष रहे कुछ करने का
    जाते–जाते भी जग को हम फलते जाएँ।


पीछे gg

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